विश्वविद्यालय समन्वय समिति की बैठक में राज्यपाल श्री यादव के निर्देश
Bhopal:Thursday, December 22, 2011
कुलाधिपति और राज्यपाल श्री राम नरेश यादव ने आज यहाँ विश्वविद्यालय समन्वय समिति की 86वीं बैठक में प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को सम्बोधित करते हुए दृढ़ शब्दों में कहा कि प्रदेश के विश्वविद्यालयों की परीक्षाएँ हर हाल में निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार समय पर आयोजित की जायें और परीक्षा परिणाम भी बिना किसी विलम्ब के समय पर घोषित किये जायें।
उन्होंने कहा कि शासन स्तर पर तैयार किये गये शैक्षणिक कैलेन्डर का पालन सख्ती से सुनिश्चित करें। राज्यपाल श्री यादव ने कहा कि अध्ययन के बाद छात्रों को सही समय पर उपाधि प्राप्त हो जाये ताकि वे अपने भविष्य और लक्ष्यों का निर्धारण यथासमय कर सकें। राज्यपाल श्री यादव ने कहा कि नियमित रूप से दीक्षांत समारोह आयोजित कर उपाधियों का वितरण सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है। उन्होंने कुलपतियों से अपेक्षा व्यक्त की कि प्रदेश का शैक्षणिक वातावरण गरिमापूर्ण बने और विश्वविद्यालयों के परिसर में प्रतिष्ठा के अनुरूप गतिविधियाँ संचालित हों।कुलाधिपति और राज्यपाल श्री राम नरेश यादव ने आज यहाँ विश्वविद्यालय समन्वय समिति की 86वीं बैठक में प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को सम्बोधित करते हुए दृढ़ शब्दों में कहा कि प्रदेश के विश्वविद्यालयों की परीक्षाएँ हर हाल में निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार समय पर आयोजित की जायें और परीक्षा परिणाम भी बिना किसी विलम्ब के समय पर घोषित किये जायें।
राज्यपाल श्री यादव ने कुलपतियों से आग्रह किया कि प्रदेश के विश्वविद्यालयों में रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम प्रारम्भ करने की दिशा में भी विचार किया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों द्वारा नवाचार करने की पहल भी की जानी चाहिए। श्री यादव ने कुलपतियों से कहा कि देश के विभिन्न विद्यालयों में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों और कार्यशालाओं में भाग लेने के लिए उनका आना-जाना लगा रहता है। ऐसी यात्राओं के दौरान देश के अन्य विश्वविद्यालयों द्वारा संचालित की जा रही ऐसी अभिनव योजनाओं की जानकारी उन्हें प्राप्त करना चाहिए जिसके अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हों। उन्होंने कहा कि ऐसी सु-व्यवस्थाओं का अनुसरण कर प्रदेश में भी बेहतर नतीजे पाये जा सकते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की प्रत्येक तीन माह में एक बैठक आयोजित की जाना चाहिए। जिसमें कुलपतियों के बीच विश्वविद्यालयों से सम्बन्धित शैक्षणिक, प्रशासनिक और अन्य समस्याओं के साथ-साथ नवाचार करने की दिशा में भी चर्चा और विचार विमर्श होना चाहिए।
राज्यपाल श्री यादव ने विश्वविद्यालयीन समस्याओं की चर्चा करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय की व्यवस्थाएँ दुरस्त होने पर ही विश्वविद्यालय द्वारा शैक्षणिक गतिविधियाँ निर्बाध रूप से संचालित की जा सकती हैं। अतः यह आवश्यक है कि विश्वविद्यालयों की समस्याओं का शासन स्तर पर तत्परता से निराकरण होना चाहिए। उन्होंने कहा कि चूंकि विश्वविद्यालय के आय के स्रोत सीमित हैं इसलिए शासन द्वारा विश्वविद्यायालों को दिया जाने वाला अनुदान बढ़ाया जाना चाहिए। श्री यादव ने कहा कि विश्वविद्यालयों में अध्यापन का स्तर बनाये रखने के लिए विश्वविद्यालयों में रिक्त अकादमिक और प्रशासनिक पदों की पूर्ति शीघ्र की जाये।
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि शैक्षणिक कैलेन्डर का पालन सुनिश्चित करने के लिए अगला शैक्षणिक सत्र एक जुलाई 2012 से हर हाल में शुरू किया जायेगा। इस उद्देश्य से वर्तमान में अशासकीय महाविद्यालयों में नई कक्षाएँ शुरू करने और पुरानी कक्षाओं के लिए आवेदन-पत्र प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि 26 जून 2011तय की गई है। बैठक में 22 दिसम्बर के बाद पीएचडी के लिए नये पंजीयन नहीं किये जाने का भी निर्णय लिया गया। बैठक में यह बताया गया कि प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में स्नातक स्तर तक के पाठ्यक्रमों में एकरूपता लाई गई है। बैठक में प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में प्रचलित अध्यादेशों एवं परिनियमों में एकरूपता लाने के उद्देश्य से गठित समिति का पुनर्गठन करते हुए 31 मार्च 2012 तक प्रतिवेदन देने का निर्देश दिया गया है। बैठक में विश्वविद्यालयों की कार्यपरिषद, प्रबंध बोर्ड एवं अन्य समितियों के सदस्यों द्वारा विश्वविद्यालय के नाम एवं मोनो वाले लेटर पेड का उपयोग पत्राचार, विशेष रूप से शिकायत आदि करने में पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। कार्य परिषद के नामांकित सदस्य केवल परिषद की बैठकों में भाग लेकर अपना मत प्रकट कर सकेंगे एवं विश्वविद्यालय की अन्य समितियों में उन्हें नामित नहीं किया जा सकेगा।
बैठक का संचालन करते हुए प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा श्री वी.पी. सिंह ने बताया कि प्रदेश में उच्च शिक्षा का उन्नयन करने के सम्बन्ध में विगत अक्टूबर में हुई वर्ल्ड बैंक की वर्कशाप के निर्देशों के परिपालन में प्रदेश सरकार द्वारा कार्यवाही की जा रही है। कार्यवाही के बिन्दुओं में विश्वविद्यालय की स्वायत्तता, जिम्मेदारी का निर्धारण, निजी विश्वविद्यालयों में सुधार, प्रशासनिक सुधार, सहभागिता में वृद्धि और सुशासन सम्बन्धी क्षेत्रों के सम्बन्ध में एक परियोजना तैयार की जा रही है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के शिक्षा के अधिकार का हर हाल में संरक्षण किया जायेगा। श्री सिंह ने मूल्यांकन कार्य में पूर्ण सावधानी बरतने के निर्देश देते हुए कहा कि पहले तो पुनर्मूल्यांकन की स्थिति आनी ही नहीं चाहिए। दूसरे, पुनर्मूल्यांकन और पुनर्गणना के कार्य इस गति से किये जायें जिससे अन्य शैक्षणिक कार्यक्रमों में विलम्ब न हो।
आभार प्रकट करते हुए राज्यपाल के सचिव श्री जे.एन.मालपानी ने कहा कि निर्देशों के क्रियान्वयन पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए और यही सर्वाधिक महत्वपूर्ण भी है। श्री मालपानी ने कहा कि समस्याओं का समयबद्ध निराकरण से ही एक सकारात्मक वातावरण का निर्माण होगा।
बैठक में प्रमुख सचिव तकनीकी शिक्षा श्री संजय सिंह, आयुक्त उच्च शिक्षा श्री वी.एस. निरंजन, वित्त सचिव श्री पंकज अग्रवाल, गृह सचिव श्रीमती सीमा शर्मा तथा समस्त विश्वविद्यालयों के कुलपति भी उपस्थित थे।
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