वर्तमान मे देश मे 15 से 20 लाख लोग कैंसर रोग से पीड़ित है। इतने ही नए लोग हर साल इस रोग का शिकार हो जाते हैं। जबकि इस रोग का शिकार होने वालों मे से आधे से ज्यादा लोग मौत का शिकार हो जाते है। अगर समय रहते इस रोग पर काबू नहीं पाया गया तो यह देश का "किलर नं० वन" रोग बना जाएगा। यह बात कैंसर केयर इंण्डिया के महासचिव पीके घोष ने सागर के केन्द्रीय विश्वविद्यालय में मप्र विज्ञान एवं तकनीकि परिषद् की सागर प्रकोष्ठ व कैंसर केयर इण्डिया के संयुक्त तत्वावधान मे आयोजित एक सगोष्ठी के दौरान व्यक्त किए।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए सागर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० एनएस गजभिए ने देश मे फैले अंधविश्वास को कैंसर जैसी घातक बीमारियों की फैलने की मुख्य वजह बताया। देश मे सांइटिफिक टेंम्पर नहीं होने की वजह से ही अंधविश्वास जोर बना हुआ है।
गजभिए ने बताया कि विज्ञान की नवीनतम नैनो तकनीकि व ल्क्ष्य भेदी दवा संचरण प्रणाली को कैसर जैसी घातक बीमारियों के लड्ने मे कारगर सिद्ध होगीं। उन्होने इस दिशा मे होने वालों शोधों कार्यों मे किसी भी हाल मे संसाधनों व धन की नहीं आने देने का आश्वासन दिया।
इसी सिलसिले मे कैंसर रोग विशेषज्ञ पीके घोष ने बताया कि कैंसर रोग पर काबू तभी संभव है जबकि इसका पता शुरूआती अवस्था मे ही चल जाए। यह जनजाग्रति के बिना हो पाना संभव नहीं है।
कार्यक्रम में भारत ओमान रिफायनरी बीना के डिप्टी डायरेक्टर सरकार,डा० आरके रावत, प्रो० जनक आही, प्रो० अरूण शाडिल्य, प्रो० अनूप बनर्जी, शहर के चिकित्सक डॉ० सीरोठिया, डॉ० हर्ष मिश्रा, डॉ० संतोष शुक्ला व छात्र -छात्राएं शामिल हुए।
गजभिए ने बताया कि विज्ञान की नवीनतम नैनो तकनीकि व ल्क्ष्य भेदी दवा संचरण प्रणाली को कैसर जैसी घातक बीमारियों के लड्ने मे कारगर सिद्ध होगीं। उन्होने इस दिशा मे होने वालों शोधों कार्यों मे किसी भी हाल मे संसाधनों व धन की नहीं आने देने का आश्वासन दिया।
इसी सिलसिले मे कैंसर रोग विशेषज्ञ पीके घोष ने बताया कि कैंसर रोग पर काबू तभी संभव है जबकि इसका पता शुरूआती अवस्था मे ही चल जाए। यह जनजाग्रति के बिना हो पाना संभव नहीं है।
कार्यक्रम में भारत ओमान रिफायनरी बीना के डिप्टी डायरेक्टर सरकार,डा० आरके रावत, प्रो० जनक आही, प्रो० अरूण शाडिल्य, प्रो० अनूप बनर्जी, शहर के चिकित्सक डॉ० सीरोठिया, डॉ० हर्ष मिश्रा, डॉ० संतोष शुक्ला व छात्र -छात्राएं शामिल हुए।
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