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Wednesday, October 15, 2008

सागर विश्वविद्यालय मे हुई कुलाधिसचिव की नियुक्ति...

इन दिनों सागर विश्वविद्यालय काफी खबरों मे बना हुआ है। अनेक विवादास्पद मुद्दों पर हाल ही मे राजभवन से कारण बताओ नोटिस भी जारी हुआ है। इस सब की वजह से सोमवार को हुई विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद मे काफी अहम रही। कार्यपरिषद द्वारा इस बैठक मे एक अहम निर्णय लेते हुए राजभवन के निर्देशानुसार विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 की धारा 15.ख.1 के मुताबिक सागर विश्विविद्यालय मे कुलाधिसचिव की नियुक्ति कर दी है। विश्वविद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक व रसायन विभाग के अध्यक्ष प्रो० केएस पित्रे को सागर विवि का कुलाधिसचिव नियुक्त किया है।
परिषद ने दूसरे अहम फैसले मे राजभवन तक पहुंच ने वाले प्रो० मंगला भिड़े द्वारा पूर्व कुलपति प्रो० आरएस कसाना पर प्रताड़ित किए जाने की शिकायत के मामले का भी हल निकाला है। बैठक मे प्रो० भिड़े की निर्दोष मानते हुए प्राणी विभाग की जो जमीन कम्प्यूटर विभाग को आवंटित की गई थी वह प्राणी विभाग को वापस कर दी गई है।
विद्या परिषद की अनुशंसा पर महाविद्यालयों को अस्थाई संबद्धता देने के मामले को भी मंजूरी देने के साथ साथ अगले सत्र से विवि के इंजीनियरिंग कॉलेज मे पढ़ाई शुरू करने को भी मंजूरी दी गई है।
विश्वविद्यालय मे रोजगारून्मुख विषयों के पाठ्यक्रम शुरू किए जाने के सिलसिले मे परिषद ने एम टेक पेट्रोलियम इंजीनियरिंग व बीएलसआई पाठ्यक्रम को मंजूरी दे दी है। संविदा व अतिथि शिक्षकों को उनके द्वारा लिए गए पीरियडों के आधार पर ही भुगतान किए जाने का निर्णय लिया गया है।
दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के नियमिति करण के मामले मे परिषद ने शासन के नियमों के मुताबिक विवि के रिक्त पड़े पदों पर वरिष्ठता के आधार पर नियमिति करण की कार्यवाही करने का निर्णय लिया गया है।
इसके अलावा फार्मेसी विभाग व्याख्याता लोपा बनर्जी को नियुक्ति के निर्णय लिए जाने के दो साल पहले से नियुक्ति देने के मामले मे परिषद मे सहमति बनी है कि कुलाधिपति से राजभवन से आए कारण बताओं नोटिस का जवाब देने के लिए नवंबर 2008 तक का समय बढाने व इस दौरान कोई कार्यवाही नहीं किए जाने का अनुरोध किया जाए है।

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