मप्र के प्रवेश एवं विनायमक समिति ने निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों के बाद अब एमबीए यानि मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन, एमसीए यानि मास्टर ऑफ कंम्प्यूटर एप्लीकेशन और बी-फार्म यानि बैचलर ऑफ फार्मेसी के पाठ्यक्रमों के लए फीस में 5 गुनी तक वृद्धि कर दी है।
बुधवार को निजी कॉलेजों मे एमबीए के 59, एमसीए के 45 और बी-फार्मा के 55 कॉलेजों की फीस की घोषणा की गई है। इसके मुताबिक वर्ष 07-08 व 08-09 के लिए इन पाठ्यक्रमों की फीस मे 33 हजार से लेकर 55 हजार रूपए तक का ईजाफा किया गया है। जबकि पिछली फीस 23 हजार से 29 हजार तक तय की गई थी।
लेकिन इस बार फीस विनियामक समिति ने बड़े साफ शब्दों मे कहा है कि निजी कॉलेज विद्यार्थियों से केवल उतनी ही फीस वसूल सकते हैं जितनी वे उनकी शिक्षा पर खर्च करेगें। इसके अलावा इस बार नया कॉलेज खोलने के लिए जरूरी राशि के इंतजाम पर भी ख्याल रखा गया है। कर्ज लेकर नया कॉलेज खोलने वाले समूहों की फीस की राशि पर दिए जा रहे ब्याज को भी फीस की राशि मे शामिल किया गया है। इसी वजह से पिछलों सालों मे बचत की राशि से नया कॉलेज खोलने वाले सस्थानों की फीस कम हो गई है।
समिति ने इंजीनियरिंग कॉलेज के समान एमबीए, एमसीए व बी-फार्म की फीस के साथ भी यह शर्त जोड़ी है कि निजी कॉलेज अन्य मदों के बहाने छात्रों से राशि नहीं ले पाएंगें। साथ ही प्लेसमेंट फीस संबंधी सुविधाओं के लिए ऐच्छिक और लागू होने संबंधी शर्तें भी शामिल हें।
समिति ने फीस मे काशन मनी को शामिल नहीं किया हे। इसके लिए व्यवस्था की गई है कि हर छात्र प्रवेश के समय एक मुश्त 1500 रूपए की राशि काशन मनी के रूप मे विश्वविद्यालय को देगा जो पाठ्यक्रम पूरा होने पर विश्वविद्यालय द्वारा उसे लौटा दी जाएगी।
समिति ने निजी कॉलेजों को चेताया भी है कि पिछले सत्र मे ज्यादा फीस वसूलने की शिकायत मिलने पर उसने दोषी कॉलेजों को अधिक वसूली गई फीस लौटाने का नोटिस दिया था। लेकिन अब अगर कॉलेजें द्वारा ज्यादा वसूली गई राशि तीस दिन के अंदर विद्यार्थियों को नहीं लौटाने पर उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी।
लेकिन इस बार फीस विनियामक समिति ने बड़े साफ शब्दों मे कहा है कि निजी कॉलेज विद्यार्थियों से केवल उतनी ही फीस वसूल सकते हैं जितनी वे उनकी शिक्षा पर खर्च करेगें। इसके अलावा इस बार नया कॉलेज खोलने के लिए जरूरी राशि के इंतजाम पर भी ख्याल रखा गया है। कर्ज लेकर नया कॉलेज खोलने वाले समूहों की फीस की राशि पर दिए जा रहे ब्याज को भी फीस की राशि मे शामिल किया गया है। इसी वजह से पिछलों सालों मे बचत की राशि से नया कॉलेज खोलने वाले सस्थानों की फीस कम हो गई है।
समिति ने इंजीनियरिंग कॉलेज के समान एमबीए, एमसीए व बी-फार्म की फीस के साथ भी यह शर्त जोड़ी है कि निजी कॉलेज अन्य मदों के बहाने छात्रों से राशि नहीं ले पाएंगें। साथ ही प्लेसमेंट फीस संबंधी सुविधाओं के लिए ऐच्छिक और लागू होने संबंधी शर्तें भी शामिल हें।
समिति ने फीस मे काशन मनी को शामिल नहीं किया हे। इसके लिए व्यवस्था की गई है कि हर छात्र प्रवेश के समय एक मुश्त 1500 रूपए की राशि काशन मनी के रूप मे विश्वविद्यालय को देगा जो पाठ्यक्रम पूरा होने पर विश्वविद्यालय द्वारा उसे लौटा दी जाएगी।
समिति ने निजी कॉलेजों को चेताया भी है कि पिछले सत्र मे ज्यादा फीस वसूलने की शिकायत मिलने पर उसने दोषी कॉलेजों को अधिक वसूली गई फीस लौटाने का नोटिस दिया था। लेकिन अब अगर कॉलेजें द्वारा ज्यादा वसूली गई राशि तीस दिन के अंदर विद्यार्थियों को नहीं लौटाने पर उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी।
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